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11 तूने मुझको कभी नहीं याद
    किया यहाँ तक कि तूने मुझ पर ध्यान तक नहीं दिया!
सो तू किसके विषय में चिन्तित रहा करता था
    तू किससे भयभीत रहता था
तू झूठ क्यों कहता था
    देख मैं बहुत दिनों से चुप रहता आया हूँ
और फिर भी तूने मेरा आदर नहीं किया।
12 तेरी ‘नेकी’ का मैं बखान कर सकता था और तेरे उन धार्मिक कर्मों का जिनको तू करता है, बखान कर सकता था।
    किन्तु वे बातें अर्थहीन और व्यर्थ हैं!
13 जब तुझको सहारा चाहिये तो तू उन झूठे देवों को जिन्हें तूने अपने चारों ओर जुटाया है,
    क्यों नहीं पुकारता है।
किन्तु मैं तुझको बताता हूँ कि उन सब को आँधी उड़ा देगी।
    हवा का एक झोंका उन्हें तुम से छीन ले जायेगा।
किन्तु वह व्यक्ति जो मेरे सहारे है, धरती को पायेगा।
    ऐसा ही व्यक्ति मेरे पवित्र पर्वत को पायेगा।”

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