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नदी की गोल बट्टियों को तुम पूजना चाहते हो।
    तुम उन पर दाखमधु उनकी पूजा के लिये चढ़ाते हो।
तुम उन पर बलियों को चढ़ाया करते हो किन्तु तुम उनके बदले बस पत्थर ही पाते हो।
    क्या तुम यह सोचते हो कि मैं इससे प्रसन्न होता हूँ नहीं! यह मुझको प्रसन्न नहीं करता है।
तुम हर किसी पहाड़ी और हर ऊँचे पर्वत पर अपना बिछौना बनाते हो।
तुम उन ऊँची जगहों पर जाया करते हो
    और तुम वहाँ बलियाँ चढ़ाते हो।
और फिर तुम उन बिछौने के बीच जाते हो
    और मेरे विरूद्ध तुम पाप करते हो।
उन देवों से तुम प्रेम करते हो।
    वे देवता तुमको भाते हैं।
तुम मेरे साथ में थे किन्तु उनके साथ होने के लिये तुमने मुझको त्याग दिया।
    उन सभी बातों पर तुमने परदा डाल दिया जो तुम्हें मेरी याद दिलाती हैं।
तुमने उनको द्वारों के पीछे और द्वार की चौखटों के पीछे छिपाया
    और तुम उन झूठे देवताओं के पास उन के संग वाचा करने को जाते हो।

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