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14 जैसे मवेशी घाटियों से उतरते और विश्राम का ठौर पाते हैं
    वैसे ही यहोवा के प्राण ने हमें विश्राम की जगह दी है।
हे यहोवा, इस ढंग से तूने अपने लोगों को राह दिखाई
    और तूने अपना नाम अद्भुत कर दिया।

उसके लोगों की सहायता के लिए यहोवा से प्रार्थना

15 हे यहोवा, तू आकाश से नीचे देख।
    उन बातों को देख जो घट रही हैं!
तू हमें अपने महान पवित्र घर से जो आकाश मैं है, नीचे देख।
    तेरा सुदृढ़ प्रेम हमारे लिये कहाँ है तेरे शक्तिशाली कार्य कहाँ है
तेरे हृदय का प्रेम कहाँ है मेरे लिये तेरी कृपा कहाँ है
    तूने अपना करूण प्रेम मुझसे कहाँ छिपा रखा है
16 देख, तू ही हमारा पिता है!
    इब्राहीम को यह पता नहीं है कि हम उसकी सन्तानें हैं।
इस्राएल (याकूब) हमको पहचानता नहीं है।
    यहोवा तू ही हमारा पिता है।
तू वही यहोवा है जिसने हमको सदा बचाया है।

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