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64 यदि तू आकाश चीर कर धरती पर नीचे उतर आये
    तो सब कुछ ही बदल जाये।
    तेरे सामने पर्वत पिघल जाये।
पहाड़ों में लपेट उठेंगी।
    वे ऐसे जलेंगे जैसे झाड़ियाँ जलती हैं।
    पहाड़ ऐसे उबलेंगे जैसे उबलता पानी आग पर रखा गया हो।
तब तेरे शत्रु तेरे बारे में समझेंगे।
    जब सभी जातियाँ तुझको देखेंगी तब वे भय से थर—थर काँपेंगी।

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