यशायाह 66:1-3
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
परमेश्वर सभी जातियों का न्याय करेगा
66 यहोवा यह कहता है,
“आकाश मेरा सिंहासन है।
धरती मेरे पाँव की चौकी बनी है।
सो क्या तू यह सोचता है कि तू मेरे लिये भवन बना सकता है नहीं, तू नहीं बना सकता।
क्या तू मुझको विश्रामस्थल दे सकता है नहीं, तू नहीं दे सकता।
2 मैंने स्वयं ही ये सारी वस्तुएँ रची हैं।
ये सारी वस्तुएँ यहाँ टिकी हैं क्योंकि उन्हें मैंने बनाया है।
यहोवा ने ये बातें कहीं थी।
मुझे बता कि मैं कैसे लोगों की चिन्ता किया करता हूँ मुझको दीन हीन लोगों की चिंता है।
ये ही वे लोग हैं जो बहुत दु:खी रहते हैं।
ऐसे ही लोगों की मैं चिंता किया करता हूँ जो मेरे वचनो का पालन किया करते हैं।
3 मुझे बलि के रूप में अर्पित करने को कुछ लोग बैल का वध किया करते हैं
किन्तु वे लोगों से मारपीट भी करते हैं।
मुझे अर्पित करने को ये भेड़ों को मारते हैं
किन्तु ये कुत्तों की गर्दन भी तोड़ते हैं
और सुअरों का लहू ये मुझ पर चढ़ाते हैं।
ऐसे लोगों को धूप के जलाने की याद बनी रहा करती हैं
किन्तु वे व्यर्थ की अपनी प्रतिमाओं से प्रेम करते हैं।
ऐसे ये लोग अपनी मनचीती राहों पर चला करते हैं, मेरी राहों पर नहीं।
वे पूरी तरह से अपने घिनौने मूर्ति के प्रेम में डूबे हैं।
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