Add parallel Print Page Options

12 किन्तु बेल को जड़ से उखाड़ दिया गया,
    और उसे भूमि पर फेंक दिया गया।
गर्म पुरवाई हवा चली और उसके फलों को सुखा दिया
    शक्तिशाली शाखायें टूट गईं, और उन्हें आग में फेंक दिया गया।

13 “‘किन्तु वह अंगूर की बेल अब मरूभूमि में बोयी गई है।
    यह बहुत सूखी और प्यासी धरती है।
14 विशाल शाखा से आग फैली।
    आग ने उसकी सारी टहनियों और फलों को जला दिया।
अत: कोई सहारे की शक्तिशाली छड़ी नहीं रही।
    कोई राजा का राजदण्ड न रहा।’

यह मृत्यु के बारे में करुण—गीत था और यह मृत्यु के बारे में करुणगीत के रूप में गाया गया था।”

Read full chapter