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13 “‘किन्तु वह अंगूर की बेल अब मरूभूमि में बोयी गई है।
    यह बहुत सूखी और प्यासी धरती है।
14 विशाल शाखा से आग फैली।
    आग ने उसकी सारी टहनियों और फलों को जला दिया।
अत: कोई सहारे की शक्तिशाली छड़ी नहीं रही।
    कोई राजा का राजदण्ड न रहा।’

यह मृत्यु के बारे में करुण—गीत था और यह मृत्यु के बारे में करुणगीत के रूप में गाया गया था।”

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