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40 “उन्होंने बहुत दूर के स्थानों से मनुष्यों को बुलाया है। इन व्यक्तियों को तुमने एक दूत भेजा और वे लोग तुम्हें देखने आए। तुम उनके लिये नहाई, अपनी आँखों को सजाया और अपने आभूषणों को पहना। 41 तुम सुन्दर बिस्तर पर बैठी, जिसके सामने मेज रखा था। तुमने मेरी सुगन्ध और मेरे तेल को इस मेज पर रखा।

42 “यरूशलेम में शोर ऐसा सुनाई पड़ता था मानों दावत उड़ाने वाले लोगों का हो। दावत में बहुत लोग आये। लोग जब मरुभूमि से आते थे तो पहले से पी रहे होते थे। वे स्त्रियों को बाजूबन्द और सुन्दर मुकुट देते थे।

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