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अश्शूर, लबानोन में, सुन्दर शाखाओं सहित एक देवदार का वृक्ष था।
    वन की छाया—युक्त और अति ऊँचा एक देवदार का वृक्ष था।
    इसके शिखर जलद भेदी थे!
जल वृक्ष को उगाता था।
    गहरी नदियाँ वृक्ष को ऊँचा करती थीं।
नदियाँ उन स्थान के चारों ओर बहती थीं, जहाँ वृक्ष लगे थे।
    केवल इसकी धारायें ही खेत के अन्य वृक्षों तक बहती थीं।
इसलिये खेत के सभी वृक्षों से ऊँचा वृक्ष वही था
    और इसने कई शाखायें फैला रखी थीं।
वहाँ काफी जल था।
    अत: वृक्ष—शाखायें बाहर फैली थीं।

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