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11 “तुम्हें उनसे कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर विश्वास दिलाता हूँ कि मैं लोगों को मरता देख कर आनन्दित नहीं होता, पापी व्यक्तियों को भी नहीं। मैं नहीं चाहता कि वे मरें। मैं उन पापी व्यक्तियों को अपने पास लौटाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें जिससे वे जीवित रह सकें। अत: मेरे पास लौटो! बुरे काम करना छोड़ो! इस्राएल के परिवार, तुम्हें मरना ही क्यों चाहिए?’

12 “मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से कहो: ‘यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पुण्य किया है तो उससे उसका जीवन नहीं बचेगा। यदि वह बच जाये और पाप करना शुरु करे। यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पाप किया, तो वह नष्ट नहीं किया जाएगा, यदि वह पाप से दूर हट जाता है। अत: याद रखो, एक व्यक्ति द्वारा अतीत में किये गए पुण्य कर्म उसकी रक्षा नहीं करेंगे, यदि वह पाप करना आरम्भ करता है।’

13 “यह हो सकता है कि मैं किसी अच्छे व्यक्ति के लिये कहूँ कि वह जीवित रहेगा। किन्तु यह हो सकता है कि वह अच्छा व्यक्ति यह सोचना आरम्भ करे कि अतीत में उसके द्वारा किये गए अच्छे कर्म उसकी रक्षा करेंगे। अत: वह बुरे काम करना आरम्भ कर सकता है। किन्तु मैं उसके अतीत के पुण्यों को याद नहीं रखूँगा! नहीं, वह उन पापों के कारण मरेगा जिन्हें वह करना आरम्भ करता है।

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