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“मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से बातें करो। उनसे कहो, ‘मैं शत्रु के सैनिकों को उस देश के विरुद्ध युद्ध के लिये ला सकता हूँ। जब ऐसा होगा तो लोग एक व्यक्ति को पहरेदार के रूप में चुनेंगे। यदि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आते देखता है, तो वह तुरही बजाता है और लोगों को सावधान करता है। यदि लोग उस चेतावनी को सुनें किन्तु अनसुनी करें तो शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी के रूप में ले जायेगा। यह व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिये स्वयं उत्तरदायी होगा।

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