Add parallel Print Page Options

31 अत: वे तुम्हारे पास वैसे ही आते हैं जैसे वे मेरे लोग हों। वे तुम्हारे सामने मेरे लोगों की तरह बैठेंगे। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे। किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहोगे। वे केवल वह करना चाहते हैं जो अनुभव करने में अच्छा हो। वे लोगों को धोखा देना चाहते हैं और अधिक धन कमाना चाहते हैं।

32 “तुम इन लोगों की दृष्टि में प्रेमगीत गाने वाले गायक से अधिक नहीं हो। तुम्हारा स्वर अच्छा है। तुम अपना वाद्य अच्छा बजाते हो। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहते हो। 33 किन्तु जिन चीजों के बारे में तुम गाते हो, वे सचमुच घटित होंगी और तब लोग समझेंगे कि उनके बीच सचमुच एक नबी रहता था!”

Read full chapter