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“‘तैयार हो जाओ। हाँ, अपने को तैयार करो और अपने साथ मिलने वाली सेना को भी। तुम्हें निगरानी रखनी चाहिए और तैयार रहना चाहिए। बहुत लम्बे समय के बाद तुम काम पर बुलाये जाओगे। आगे आने वाले वर्षों में तुम उस प्रदेश में आओगे जो युद्ध के बाद पुन: निर्मित होगा। उस देश में लोग इस्राएल के पर्वत पर आने के लिये बहुत से राष्ट्रों से इकट्ठे किये जाएंगे। अतीत में इस्राएल का पर्वत बार—बार नष्ट किया गया था। किन्तु ये लोग उन दूसरे राष्ट्रों से वापस लौटे होंगे। वे सभी सुरक्षित रहेंगे। किन्तु तुम उन पर आक्रमण करने आओगे। तुम तूफान की तरह आओगे। तुम देश को ढकते हुए गरजते मेघ की तरह आओगे। तुम और बहुत से राष्ट्रों के तुम्हारे सैनिकों के समूह, इन लोगों पर आक्रमण करने आएंगे।’”

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