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16 “वे मेरे पवित्र स्थान में प्रवेश करेंगे। वे मेरी मेज के पास मेरी सेवा करने आएंगे। वे उन चीजों की देखमाल करेंगे जिन्हें मैंने उन्हें दीं। 17 जब वे भीतरी आँगन के फाटकों में प्रवेश करेंगे तब वे बहुमूल्य सन के वस्त्र पहनेंगे। जब वे भीतरी आँगन के फाटक और मन्दिर में सेवा करेंगे तब वे ऊनी वस्त्र पहनेंगे। 18 वे सन की पगड़ी अपने सिर पर धारण करेंगे और वे सन की जांघिया पहनेंगे। वे ऐसा कुछ नहीं पहनेंगे जिससे पसीना आये।

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