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11 वे सब, जो धीरज के साथ सहते हैं, हमारी दृष्टि में प्रशंसनीय हैं. तुमने अय्योब की सहनशीलता के विषय में सुना ही है और इस विषय में प्रभु के उद्धेश्य की पूर्ति से परिचित भी हो कि प्रभु करुणामय और दया के भण्ड़ार हैं.

12 प्रियजन, इन सब से अधिक महत्वपूर्ण है कि तुम सौगन्ध ही न खाओ, न तो स्वर्ग की और न ही पृथ्वी की और न ही कोई अन्य सौगन्ध. इसके विपरीत तुम्हारी “हाँ” का मतलब हाँ हो तथा “न” का न, जिससे तुम दण्ड के भागी न बनो.

विश्वास से भरी विनती

13 यदि तुममें से कोई मुसीबत में है, तो वह प्रार्थना करे; यदि आनन्दित है, तो वह स्तुति गीत गाए.

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