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16 सही है कि तुम सब एक-दूसरे के सामने अपने पाप स्वीकार करो तथा एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो, जिससे तुम दोबारा स्वस्थ हो जाओ. धर्मी व्यक्ति की प्रार्थना प्रभावशाली तथा परिणाममूलक होती है. 17 भविष्यद्वक्ता एलिय्याह हमारे ही समान मनुष्य थे. उन्होंने भक्ति के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और पृथ्वी पर तीन वर्ष छः महीने तक वर्षा नहीं हुई. 18 तब उन्होंने वर्षा के लिए प्रार्थना की और आकाश से मूसलाधार वृष्टि हुई तथा पृथ्वी से उपज उत्पन्न हुई.

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