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परमेश्वर, हर एक व्यक्ति को तेरा सम्मान करना चाहिए।
    तू सभी राष्ट्रों का राजा है।
तू उनके सम्मान का पात्र है।
    राष्ट्रों में अनेक बुद्धिमान व्यक्ति हैं।
किन्तु कोई व्यक्ति तेरे समान बुद्धिमान नहीं है।

अन्य राष्ट्रों के सभी लोग शरारती और मूर्ख हैं।
    उनकी शिक्षा निरर्थक लकड़ी की मूर्तियों से मिली है।
वे अपनी मूर्तियों को तर्शीश नगर की चाँदी
    और उफाज नगर के सोने का उपयोग करके बनाते हैं।
वे देवमूर्तियाँ वढइयों और सुनारो द्वारा बनाई जाती हैं।
    वे उन देवमूर्तियों को नीले और बैंगनी वस्त्र पहनाते हैं।
निपुण लोग उन्हें “देवता” बनाते हैं।

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