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16 अत: यहूदा देश एक सूनी मरुभूमि बनेगा।
    इसके पास से गुजरते लोग हर बार सीटी बजाएंगे
और सिर हिलायेंगे।
इस बात से चकित होगें कि देश कैसे बरबाद किया गया।
17 मैं यहूदा के लोगों को उनके शत्रुओं के सामने बिखेरुँगा।
    प्रबल पूर्वी आँधी जैसे चीज़ों के चारों ओर उड़ती है वैसे ही मैं उनको बिखेरुँगा।
मैं उन लोगों को नष्ट करूँगा।
    उस समय वे मुझे अपनी सहायता के लिये आता नहीं देखेंगे।
    नहीं, वे मुझे अपने को छोड़ता देखेंगे।”

यिर्मयाह की चौथी शिकायत

18 तब यिर्मयाह के शत्रुओं ने कहा, “आओ, हम यिर्मयाह के विरुद्ध षडयन्त्र रचे। निश्चय ही, याजक द्वारा दी गई व्यवस्था की शिक्षा मिटेगी नहीं और बुद्धिमान लोगों की सलाह अब भी हम लोगों को मिलेगी। हम लोगों को नबियों के सन्देश भी मिलेंगे। अत: हम लोग उसके बारे में झूठ बोलें। उससे वह बरबाद होगा। वह जो कुछ कहता है, हम किसी पर ध्यान नहीं देंगे।”

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