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30 “यहूदा के लोगों, मैंने तुम्हारे लोगों को दण्ड दिया,
    किन्तु इसका कोई परिणाम न निकला।
तुम तब लौट कर नहीं आए जब दण्डित किये गये।
    तुमने उन नबियों को तलवार के घाट उतारा जो तुम्हारे पास आए।
तुम खूंखार सिंह की तरह थे
    और तुमने नबियों को मार डाला।”
31 इस पीढ़ी के लोगों, यहोवा के सन्देश पर ध्यान दो:

“क्या मैं इस्राएल के लोगों के लिये मरुभूमि सा बन गया?
    क्या मैं उनके लिये अंधेरे और भयावने देश सा बन गया?
मेरे लोग कहते है, ‘हम अपनी राह जाने को स्वतन्त्र हैं,
    यहोवा, हम फिर तेरे पास नहीं लौटेंगे!’
वे उन बातों को क्यों कहते हैं?
32 क्या कोई युवती अपने आभूषण भूलती है नहीं।
    क्या कोई दुल्हन अपने श्रृंगार के लिए अपना टुपट्टा भूल जाती है नहीं।
किन्तु मेरे लोग मुझे अनगिनत दिनों से भूल गए हैं।

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