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तुमने पाप किये अत: वर्षा नहीं आई!
    बसन्त समय की कोई वर्षा नहीं हुई।
किन्तु अभी भी तुम लज्जित होने से इन्कार करती हो।
किन्तु अब तुम मुझे बुलाती हो।
    ‘मेरे पिता, तू मेरे बचपन से मेरे प्रिय मित्र रहा है।’
तुमने ये भी कहा,
    ‘परमेश्वर सदैव मुझ पर क्रोधित नहीं रहेगा।
    परमेश्वर का क्रोध सदैव बना नहीं रहेगा।’

“यहूदा, तुम यह सब कुछ कहती हो,
    किन्तु तुम उतने ही पाप करती हो जितने तुम कर सकती हो।”

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