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18 मैंने एप्रैम को रोते सुना है।
    मैंने एप्रैम को यह कहते सुना है:
    ‘हे यहोवा, तूने, सच ही, मुझे दण्ड दिया है
और मैंने अपना पाठ सीख लिया।
    मैं उस बछड़े की तरह था जिसे कभी प्रशिक्षण नहीं मिला कृपया मुझे दण्ड देना बन्द कर, मैं तेरे पास वापस आऊँगा।
    तू सच ही मेरा परमेश्वर यहोवा है।
19 हे यहोवा, मैं तुझसे भटक गया था।
    किन्तु मैंने जो बुरा किया उससे शिक्षा ली।
अत: मैंने अपने हृदय और जीवन को बदल डाला।
    जो मैंने युवाकाल में मूर्खतापूर्ण काम किये उनके लिये मैं परेशान और लज्जित हूँ।’”
20 परमेश्वर कहता है:
“तुम जानते हो कि एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र है।
    मैं उस बच्चे से प्यार करता हूँ।
हाँ, मैं प्राय: एप्रैम के विरुद्ध बोलता हूँ,
    किन्तु फिर भी मैं उसे याद रखता हूँ। मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ।
मैं सच ही, उसे आराम पहुँचाना चाहता हूँ।”
    यह सन्देश यहोवा का है।

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