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26 यदि वे तुमसे ऐसा कहें तो उनसे कहना, ‘मैं राजा से प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे योनातान के घर के नीचे कूप—गृह में वापस न भेजें। यदि मुझे वहाँ वापस जाना पड़ा तो मैं मर जाऊँगा।’”

27 ऐसा हुआ कि राजा के वे राजकीय अधिकारी यिर्मयाह से पूछने उसके पास आ गए। अत: यिर्मयाह ने वह सब कहा जिसे कहने का आदेश राजा ने दिया था। तब उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को अकेले छोड़ दिया। किसी व्यक्ति को पता न चला कि यिर्मयाह और राजा ने क्या बातें कीं।

28 इस प्रकार यिर्मयाह रक्षकों के संरक्षण में मन्दिर के आँगन में उस दिन तक रहा जिस दिन यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया।

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