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21 इस सन्देश को सुनो,
    तुम मूर्ख लोगों, तुम्हें समझ नहीं हैं:
    तुम लोगों की आँखें है, किन्तु तुम देखते नहीं!
    तुम लोगों के कान हैं, किन्तु तुम सनते नहीं!
22 निश्चय ही तुम मुझसे भयभीत हो।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“मेरे सामने तुम्हें भय से काँपना चाहिये।
    मैं ही वह हूँ, जिसने समुद्र तटों को समुद्र की मर्यादा बनाई।
    मैंने बालू की ऐसी सीमा बनाई जिसे पानी तोड़ नहीं सकती।
    तरंगे तट को कुचल सकती हैं, किन्तु वे इसे नष्ट नहीं करेंगी।
    चढ़ती हुई तरंगे गरज सकती हैं, किन्तु वे तट की मर्यादा तोड़ नहीं सकती।
23 किन्तु यहूदा के लोग हठी हैं।
    वे हमेशा मेरे विरुद्ध जाने की योजना बनाते हैं।
    वे मुझसे मुड़े हैं और मुझसे दूर चले गए हैं।

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