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कुतरती हुई टिड्डियों से जो कुछ भी बचा,
    उसको भिन्नाती हुई टिड्डियों ने खा लिया
और भिन्नाती टिड्डियों से जो कुछ बचा,
    उसको फुदकती टिड्डियों ने खा लिया है
और फुदकती टिड्डियों से जो कुछ रह गया,
    उसे विनाशकारी टिड्डियों ने चट कर डाला है!

टिड्डियों का आना

ओ मतवालों, जागो, उठो और रोओ!
    ओ सभी लोगों दाखमधु पीने वालों, विलाप करो।
क्योंकि तुम्हारी मधुर दाखमधु अब समाप्त हो चुकी है।
    अब तुम, उसका नया स्वाद नहीं पाओगे।
देखो, विशाल शक्तिशाली लोग मेरे देश पर आक्रमण करने को आ रहे हैं।
    उनके साथ अनगिनत सैनिक हैं।
वे “टिड्डे” (शत्रु के सैनिक) तुम्हें फाड़ डालने में समर्थ होंगे!
    उनके दाँत सिंह के दाँतों जैसे हैं।

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