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हे याजकों! हे यहोवा के सेवकों, विलाप करो!
    क्योंकि अब यहोवा के मन्दिर में न तो अनाज होगा और न ही पेय भेंट चढ़ेंगी।
10 खेत उजड़ गये हैं।
    यहाँ तक कि धरती भी रोती है
    क्योंकि अनाज नष्ट हुआ है,
नया दाखमधु सूख गया है
    और जैतून का तेल समाप्त हो गया है।
11 हे किसानो, तुम दु:खी होवो!
    हे अंगूर के बागवानों, जोर से विलाप करो!
तुम गेहूँ और जौ के लिये भी विलाप करो!
    क्योंकि खेत की फसल नष्ट हुई है।

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