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वह दिन अंधकार भरा होगा,
    वह दिन उदासी का होगा, वह दिन काला होगा और वह दिन दुर्दिन होगा।
भोर की पहली किरण के साथ तुम्हें पहाड़ पर सेना फैलती हुई दिखाई देगी।
    वह सेना विशाल और शक्तिशीली भी होगी।
ऐसा पहले तो कभी भी घटा नहीं था
    और आगे भी कभी ऐसा नहीं घटेगा, न ही भूत काल में, न ही भविष्य में।
वह सेना इस धरती को धधकती आग जैसे तहस—नहस कर देगी।
    सेना के आगे की भूमी वैसी ही हो जायेगी जैसे एदेन का बगीचा
और सेना के पीछे की धरती वैसी हो जायेगी जैसे उजड़ा हुआ रेगिस्तान हो।
    उनसे कुछ भी नही बचेगा।
वे घोड़े की तरह दिखते हैं और ऐसे दौड़ते हैं
    जैसे युद्ध के घोड़े हों।

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