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वे एक दूसरे को आपस में नहीं थकेलते हैं।
    हर एक सैनिक अपनी राह पर चलता है।
यदि कोई सैनिक आघात पा करके गिर जाता है
    तो भी वे दूसरे सैनिक आगे ही बढ़ते रहते हैं।
वे नगर पर चढ़ जाते हैं
    और बहुद जल्दी ही परकोटा फलांग जाते हैं।
वे भवनों पर चढ़ जाते
    और खिड़कियों से होकर भीतर घुस जाते हैं जैसे कोई चोर घुस जाये।
10 धरती और आकाश तक उनके सामने काँपते हैं।
    सूरज और चाँद भी काले पड़ जाते हैं और तोर चमकना छोड़ देते हैं।

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