Add parallel Print Page Options

माँगते रहो

(मत्ती 7:7-11)

5-6 फिर उसने उनसे कहा, “मानो, तुममें से किसी का एक मित्र है, सो तुम आधी रात उसके पास जाकर कहते हो, ‘हे मित्र मुझे तीन रोटियाँ दे। क्योंकि मेरा एक मित्र अभी-अभी यात्रा से मेरे पास आया है और मेरे पास उसके सामने परोसने के लिये कुछ भी नहीं है।’ और कल्पना करो उस व्यक्ति ने भीतर से उत्तर दिया, ‘मुझे तंग मत कर, द्वार बंद हो चुका है, बिस्तर में मेरे साथ मेरे बच्चे हैं, सो तुझे कुछ भी देने मैं खड़ा नहीं हो सकता।’ मैं तुम्हें बताता हूँ वह यद्यपि नहीं उठेगा और तुम्हें कुछ नहीं देगा, किन्तु फिर भी क्योंकि वह तुम्हारा मित्र है, सो तुम्हारे निरन्तर, बिना संकोच माँगते रहने से वह खड़ा होगा और तुम्हारी आवश्यकता भर, तुम्हें देगा।

Read full chapter