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येशु की प्रार्थना

21 मसीह येशु पवित्रात्मा के आनन्द से भरकर कहने लगे, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी, मैं आपकी स्तुति करता हूँ कि आपने ये सभी सच बुद्धिमानों और ज्ञानियों से छुपा रखे और नन्हे बालकों पर प्रकट कर दिए क्योंकि पिता, आपकी दृष्टि में यही अच्छा था.

22 “सब कुछ मुझे मेरे पिता द्वारा सौंपा गया है. कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है अतिरिक्त पिता के और कोई नहीं जानता कि पिता कौन हैं अतिरिक्त पुत्र के तथा उनके, जिन पर पुत्र ने उन्हें—पिता को—प्रकट करना सही समझा.”

23 तब मसीह येशु ने अपने शिष्यों की ओर उन्मुख हो उनसे व्यक्तिगत रूप से कहा, “धन्य हैं वे आँख, जो वह देख रही हैं, जो तुम देख रहे हो

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