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“जिस किसी घर में प्रवेश करो, तुम्हारे सबसे पहिले शब्द हों, ‘इस घर में शान्ति बनी रहे.’ यदि परिवार-प्रधान शान्तिप्रिय व्यक्ति है, तुम्हारी शान्ति उस पर बनी रहेगी. यदि वह ऐसा नहीं है तो तुम्हारी शान्ति तुम्हारे ही पास लौट आएगी. उसी घर के मेहमान बने रहना. भोजन और पीने के लिए जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे स्वीकार करना क्योंकि सेवक अपने वेतन का अधिकारी है. एक घर से निकल कर दूसरे घर में मेहमान न बनना.

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