Add parallel Print Page Options

34 तुम्हारे शरीर का दीपक तुम्हारी आँख हैं. यदि तुम्हारी आँख निरोगी हैं, तुम्हारा सारा शरीर उजियाला होगा किन्तु यदि तुम्हारी आँखें रोगी हैं, तो तुम्हारा शरीर भी अंधियारा होगा. 35 ध्यान रहे कि तुम्हारे भीतर छिपा हुआ उजाला अन्धकार न हो. 36 इसलिए यदि तुम्हारा सारा शरीर उजियाला है, उसमें ज़रा सा भी अन्धकार नहीं है, तब वह सब जगह उजाला देगा—जैसे एक दीप अपने उजाले से तुम्हें उजियाला करता है.”

Read full chapter