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40 निर्बुद्धियों! जिसने बाहरी भाग बनाया है, क्या उसी ने अन्दरूनी भाग नहीं बनाया? 41 तुम में जो अन्दर बसा हुआ है, उसे दान में दे दो, तब तुम और तुम्हारे संस्कार शुद्ध हो पाएँगे.

42 “धिक्कार है तुम पर, फ़रीसियो! तुम परमेश्वर को अपने पुदीना, ब्राम्ही तथा अन्य हर एक साग पात का दसवां अंश तो देते हो किन्तु मनुष्यों के प्रति न्याय और परमेश्वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो. ये ही वे चीज़ें हैं, जिनको पूरा करना आवश्यक है—अन्यों की उपेक्षा किए बिना.

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