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20 इसलिए वह अपने पिता के पास लौट गया.

“वह दूर ही था कि पिता ने उसे देख लिया और वह दया से भर गया. वह दौड़ कर अपने पुत्र के पास गया और उसे गले लगा कर चूमता रहा.

21 “पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने परमेश्वर के विरुद्ध तथा आपके प्रति पाप किया है, मैं अब इस योग्य नहीं रहा कि मैं आपका पुत्र कहलाऊँ.’

22 “किन्तु पिता ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, ‘बिना देर किए सबसे अच्छे वस्त्र ला कर इसे पहनाओ और इसकी उँगली में अंगूठी और पाँवों में जूतियाँ भी पहनाओ;

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