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11 इसलिए यदि तुम सांसारिक सम्पत्ति के प्रति विश्वासयोग्य न पाए गए तो तुम्हें सच्चा धन कौन सौंपेगा? 12 यदि तुम किसी अन्य की सम्पत्ति के प्रति विश्वासयोग्य प्रमाणित न हुए तो कौन तुम्हें वह सौंपेगा, जो तुम्हारा ही है?

13 “किसी भी दास के लिए दो स्वामियों की सेवा करना सम्भव नहीं है. वह एक से प्रेम तथा दूसरे से घृणा करेगा या वह एक के प्रति समर्पित रहेगा तथा दूसरे को तुच्छ दृष्टि से देखेगा. तुम परमेश्वर तथा धन दोनों ही की सेवा नहीं कर सकते.”

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