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“भण्ड़ारी मन में विचार करने लगा, ‘अब मैं क्या करूँ? मेरा पद मुझसे छीना जा रहा है. मेरा शरीर इतना बलवान नहीं कि मैं भूमि खोदने का काम करूँ और लज्जा के कारण मैं भीख भी न माँग सकूँगा. अब मेरे सामने क्या रास्ता बचा रह गया है, मैं समझ गया कि मेरे लिए क्या करना सही है कि मुझे पद से हटा दिए जाने के बाद भी लोगों की मित्रता मेरे साथ बनी रहे.’

“उसने अपने स्वामी के हर एक कर्ज़दार को बुलवाया. पहिले कर्ज़दार से उसने प्रश्न किया, ‘तुम पर मेरे स्वामी का कितना कर्ज़ है?’

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