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क्योंकि उसे हमारे राष्ट्र से प्रेम है तथा उसने हमारे लिए सभागृह भी बनाया है.” इसलिए मसीह येशु उनके साथ चले गए.

मसीह येशु उसके घर के पास पहुँचे ही थे कि सेनापति ने अपने मित्रों के द्वारा उन्हें सन्देश भेजा, “प्रभु! आप कष्ट न कीजिए. मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे घर पधारें. अपनी इसी अयोग्यता को ध्यान में रखते हुए मैं स्वयं आप से भेंट करने नहीं आया. आप मात्र वचन कह दीजिए और मेरा सेवक स्वस्थ हो जाएगा.

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