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14 वह भूमि जहाँ बीज कँटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किन्तु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिन्ताएँ, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते. 15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढ़तापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरन्तर फल लाते हैं.

दीपक का दृष्टान्त

16 “कोई भी दीपक को जला कर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परन्तु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.

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