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स्त्री का वचन

11 मैं गिरीदार पेड़ों के बगीचे में घाटी की बहार को
    देखने को उतर गयी,
    यह देखने कि अंगूर की बेले कितनी बड़ी हैं
    और अनार की कलियाँ खिली हैं कि नहीं।
12 इससे पहले कि मैं यह जान पाती, मेरे मन ने मुझको राजा के व्यक्तियों के रथ में पहुँचा दिया।

यरूशलेम की पुत्रियों को उसको बुलावा

13 वापस आ, वापस आ, ओ शुलेम्मिन!
    वापस आ, वापस आ, ताकि हम तुझे देख सके।

क्यों ऐसे शुलेम्मिन को घूरती हो
    जैसे वह महनैम के नृत्य की नर्तकी हो

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