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पुरुष का वचन स्त्री के प्रति

मेरी प्रिय, तू तिर्सा सी सुन्दर है,
    तू यरूशलेम सी मनोहर है, तू इतनी अद्भुत है
    जैसे कोई दिवारों से घिरा नगर हो।
मेरे ऊपर से तू आँखें हटा ले!
    तेरे नयन मुझको उत्तेजित करते हैं!
तेरे केश लम्बे हैं और वे ऐसे लहराते है
    जैसे गिलाद की पहाड़ी से बकरियों का झुण्ड उछलता हुआ उतरता आता हो।
तेरे दाँत ऐसे सफेद है
    जैसे मेंढ़े जो अभी—अभी नहा कर निकली हों।
वे सभी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया करती हैं
    और उनमें से किसी का भी बच्चा नहीं मरा है।

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