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घूँघट के नीचे तेरी कनपटियाँ
    ऐसी हैं जैसे अनार की दो फाँके हों।

वहाँ साठ रानियाँ,
    अस्सी सेविकायें
    और नयी असंख्य कुमारियाँ हैं।
किन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल,
    उनमें एक मात्र है।
जिस मां ने उसे जन्म दिया
    वह उस माँ की प्रिय है।
कुमारियों ने उसे देखा और उसे सराहा।
    हाँ, रानियों और सेविकाओं ने भी उसको देखकर उसकी प्रशंसा की थी।

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