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पुरुष द्वारा स्त्री सौन्दर्य का वर्णन

हे राजपुत्र की पुत्री, सचमुच तेरे पैर इन जूतियों के भीतर सुन्दर हैं।
तेरी जंघाएँ ऐसी गोल हैं जैसे किसी कलाकार के ढाले हुए आभूषण हों।
तेरी नाभि ऐसी गोल है जैसे कोई कटोरा,
    इसमें तू दाखमधु भर जाने दे।
तेरा पेट ऐसा है जैसे गेहूँ की ढेरी
    जिसकी सीमाएं घिरी हों कुमुदिनी की पंक्तियों से।

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