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11 आ, मेरे प्रियतम, आ!
    हम खेतों में निकल चलें
    हम गावों में रात बिताये।
12 हम बहुत शीघ्र उठें और अंगूर के बागों में निकल जायें।
    आ, हम वहाँ देखें क्या अंगूर की बेलों पर कलियाँ खिल रही हैं।
आ, हम देखें क्या बहारें खिल गयी हैं
    और क्या अनार की कलियाँ चटक रही हैं।
वहीं पर मैं अपना प्रेम तुझे अर्पण करूँगी।

13 प्रणय के वृक्ष निज मधुर सुगंध दिया करते हैं,
    और हमारे द्वारों पर
सभी सुन्दर फूल, वर्तमान, नये और पुराने—मैंने तेरे हेतु,
    सब बचा रखें हैं, मेरी प्रिय!

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