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तेरी नाभि ऐसी गोल है जैसे कोई कटोरा,
    इसमें तू दाखमधु भर जाने दे।
तेरा पेट ऐसा है जैसे गेहूँ की ढेरी
    जिसकी सीमाएं घिरी हों कुमुदिनी की पंक्तियों से।
तेरे उरोज ऐसे हैं जैसे किसी जवान कुरंगी के
    दो जुड़वा हिरण हो।
तेरी गर्दन ऐसी है जैसे किसी हाथी दाँत की मीनार हो।
तेरे नयन ऐसे है जैसे हेशबोन के वे कुण्ड
    जो बत्रब्बीम के फाटक के पास है।
तेरी नाक ऐसी लम्बी है जैसे लबानोन की मीनार
    जो दमिश्क की ओर मुख किये है।

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