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तू कितनी सुन्दर और मनमोहक है,
    ओ मेरी प्रिय! तू मुझे कितना आनन्द देती है!
तू खजूर के पेड़
    सी लम्बी है।
तेरे उरोज ऐसे हैं
    जैसे खजूर के गुच्छे।
मैं खजूर के पेड़ पर चढ़ूँगा,
    मैं इसकी शाखाओं को पकड़ूँगा,

तू अपने उरोजों को अंगूर के गुच्छों सा बनने दे।
    तेरी श्वास की गंध सेब की सुवास सी है।

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