Add parallel Print Page Options

12 किन्तु सुलैसान, मेरा अपना अंगूर का बाग मेरे लिये है।
हे सुलैमान, मेरे चाँदी के एक हजार शेकेल सब तू ही रख ले,
    और ये दो सौ शेकेल उन लोगों के लिये हैं
जो खेतों में फलों की रखवाली करते हैं!

पुरुष का वचन स्त्री के प्रति

13 तू जो बागों में रहती है,
    तेरी ध्वनि मित्र जन सुन रहे हैं।
तू मुझे भी उसको सुनने दे!

स्त्री का वचन पुरुष के प्रति

14 ओ मेरे प्रियतम, तू अब जल्दी कर!
    सुगंधित द्रव्यों के पहाड़ों पर तू अब चिकारे या युवा मृग सा बन जा!

Read full chapter