Add parallel Print Page Options

पुरुष का वचन स्त्री के प्रति

13 तू जो बागों में रहती है,
    तेरी ध्वनि मित्र जन सुन रहे हैं।
तू मुझे भी उसको सुनने दे!

स्त्री का वचन पुरुष के प्रति

14 ओ मेरे प्रियतम, तू अब जल्दी कर!
    सुगंधित द्रव्यों के पहाड़ों पर तू अब चिकारे या युवा मृग सा बन जा!

Read full chapter