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सभोपदेशक 2:2-4
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
सभोपदेशक 2:2-4
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
2 हर समय हँसते रहना भी मूर्खता है। मनो विनोद से मेरा कोई भला नहीं हो सका।
3 सो मैंने निश्चय किया कि मैं अपनी देह को दाखमधु से भर लूँ यद्यपि मेरा मस्तिष्क मुझे अभी ज्ञान की राह दिखा रहा था। मैंने यह मूर्खता पूर्ण आचरण किया, क्योंकि मैं आनन्द का कोई मार्ग ढूँढना चाहता था। मैं चाहता था कि लोगों के लिये अपने जीवन के थोड़े से दिनों में क्या करना उत्तम है, इसे खोज लूँ।
क्या कड़ी मेहनत से सच्चा आनन्द मिलता है?
4 फिर मैंने बड़े—बड़े काम करने शुरू किये। मैंने अपने लिये भवन बनवाएँ और अँगूर के बाग लगवाए।
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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
© 1995, 2010 Bible League International