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13 तू ही अपने लोगों को बचाने आया था।
    तू ही अपने चुने राजा को विजय की राह दिखाने को आया था।
तूने प्रदेश के हर बुरे परिवार का मुखिया,
    साधारण जन से लेकर अति महत्वपूर्ण व्यक्ति तक मार दिया।

14 उन सेनानायकों ने हमारे नगरों पर
    तूफान की तरह से आक्रमण किया।
उनकी इच्छा थी कि वे हमारे असहाय लोगों को
    जो गलियों के भीतर वैसे डर कर छुपे बैठे हैं
जैसे कोई भिखारी छिपा हुआ है खाना कुचल डाले।
    किन्तु तूने उनके सिर को मुगदर की मार से फोड़ दिया।
15 किन्तु तूने सागर को अपने ही घोड़ों से पार किया था
    और तूने महान जलनिधि को उलट—पलट कर रख दिया।

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