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इस्राएल का अहंकार ही उनके विरोध में एक साक्षी बन गया है। इसलिये इस्राएल और एप्रैम का उनके पापों में पतन होगा किन्तु उनके साथ ही यहूदा भी ठोकर खायेगा।

“लोगों के मुखिया यहोवा की खोज में निकल पड़ेंगे। वे अपनी भेड़ों और गायों को भी अपने साथ ले लेंगे किन्तु वे यहोवा को नहीं पा सकेंगे। ऐसा क्यो क्योंकि यहोवा ने उन्हें त्याग दिया था। वे यहोवा के प्रति सच्चे नहीं रहे थे। उनकी संतानें किसी पराये की थीं। सो अब वह उनका और उनकी धरती का फिर से विनाश करेगा।”

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