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17 इक्कीसवाँ समूह याकीन का था।

बाईसवाँ समूह गामूल का था।

18 तेईसवाँ समूह दलायाह का था।

चौबीसवाँ समूह माज्याह का था।

19 यहोवा के मन्दिर में सेवा करने के लिये ये समूह चुने गये थे। वे मन्दिर में सेवा के लिये हारून के नियामों को मानते थे। इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने इन नियमों को हारून को दिया था।

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